Call: 0123456789

आंटी की छुपी मस्ती – Desi Village Romance Story


Desi Village Romance Story

कहानी ओडिशा के एक छोटे से गांव पर आधारित है। 21 वर्षीय कॉलेज छात्र राकेश गर्मियों की छुट्टियों में अपने छोटे से ओडिशा गाँव में वापस आ गया। उसके माता-पिता काम पर गए हुए थे, इसलिए वह अपनी पड़ोसी सुनीता आंटी के साथ रुका। वह लगभग 35 साल की थीं, एक आत्मविश्वासी महिला जो अपने अकेलेपन को अपने बेबाक अंदाज़ में छिपाए हुए थीं। Read Desi Village Romance Story

एक उमस भरी दोपहर, राकेश ने सुनीता की टूटे हुए पानी के नल को ठीक करने में मदद की। काम करते समय, पानी की फुहारें उन पर भीग गईं। उनकी चंचल हँसी खामोश तनाव में बदल गई क्योंकि वे अपनी भावनाओं को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश कर रहे थे। अगले कुछ दिनों में, छोटे-छोटे पलों ने उनके बीच धीरे-धीरे आकर्षण पैदा कर दिया।

एक रात गाँव में बिजली गुल हो गई थी, बाहर ज़ोरदार बारिश हो रही थी, वे मोमबत्ती की रोशनी में बैठे थे। उन्होंने अकेलेपन, इच्छाओं और उन बातों के बारे में बात की जो उन्होंने पहले कभी खुलकर नहीं कही थीं। कमरा एक कामुक ऊर्जा से भर गया था, मोमबत्ती की रोशनी उनके चेहरों पर टिमटिमा रही थी।

सुनीता, जो हमेशा बातचीत शुरू करने में माहिर होती हैं, झुकीं और फुसफुसाईं, “राकेश, क्या तुम कभी…चीज़ों के बारे में सोचते हो?” उसकी आवाज़ धीमी थी, बारिश के कारण मुश्किल से सुनाई दे रही थी।

राकेश को सीने में धड़कन महसूस हुई। वह बढ़ते आकर्षण को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अब और इनकार नहीं कर सकता था। “हाँ, आंटी,” उसने धीमी और भारी आवाज़ में स्वीकार किया। “मैंने इसके बारे में सोचा है।”

मोमबत्ती की रोशनी में सुनीता की आँखें चमक उठीं। वह और पास झुकी, उनके चेहरे कुछ इंच की दूरी पर थे। “मुझे दिखाओ,” उसने फुसफुसाते हुए कहा, उसकी साँसें उसके होंठों पर गर्म हो रही थीं।

राकेश को और प्रोत्साहन की ज़रूरत नहीं थी। उसने सुनीता के होंठों से अपने होंठ मिला दिए, उनके मुँह एक भावुक चुंबन में मिल गए। उसके हाथ उसकी कमर पर थे, उसे और करीब खींच रहे थे। वह महसूस कर सकता था कि उसका शरीर उससे सटा हुआ है, उसके स्तन हर साँस के साथ ऊपर उठ रहे हैं। Desi Village story

सुनीता के हाथ राकेश के शरीर पर घूम रहे थे, उसके हर इंच को टटोल रहे थे। उसने अपने स्तन उससे सटा दिए, उसके निप्पल सख्त और संवेदनशील थे। राकेश खुद को रोक नहीं पाया और उन्हें ऊपर उठाकर थाम लिया, उसके अंगूठे कठोर चोटियों पर रगड़ रहे थे।

सुनीता कराह उठी, उसका सिर पीछे की ओर झुक गया। राकेश ने इस मौके का फायदा उठाया, उसके होंठ उसकी गर्दन पर फिरने लगे। उसने चूमा और काटा, उसकी जीभ उसकी नमकीन त्वचा का स्वाद ले रही थी।

सुनीता के हाथ राकेश की पैंट पर पड़े, उसकी उंगलियाँ उसे बड़ी चतुराई से खोल रही थीं। वह अंदर पहुँची, उसका हाथ उसके सख्त लंड को लपेट रहा था। राकेश हाँफने लगा, उसके कूल्हे उसके हाथ में धँस रहे थे।

सुनीता उसे सहलाने लगी, उसका हाथ उसके लंड पर ऊपर-नीचे हो रहा था। राकेश कराहने से खुद को रोक नहीं पाया, उसका सिर पीछे की ओर झुक गया। उसने पहले कभी ऐसा कुछ महसूस नहीं किया था।

सुनीता झुकी, उसके होंठ उसके लंड के सुपाड़े पर लिपटे हुए थे। राकेश हाँफने लगा, उसके कूल्हे आगे की ओर धँस रहे थे। सुनीता ने उसे अपने मुँह में ले लिया, उसके होंठ और जीभ एक साथ काम कर रहे थे।

राकेश को यकीन नहीं हो रहा था कि क्या हो रहा है। उसने पहले कभी ऐसा कुछ महसूस नहीं किया था। वह नीचे पहुँचा, उसके हाथ सुनीता के बालों में उलझ गए।

सुनीता ने उसे और गहराई तक ले लिया, उसका मुँह और हाथ एक साथ काम कर रहे थे। राकेश कराहने से खुद को रोक नहीं पाया, उसके कूल्हे आगे की ओर झुक रहे थे।

सुनीता पीछे हटी, उसके होंठों से गीला निशान बन रहा था। उसने राकेश की तरफ देखा, उसकी आँखें चमक रही थीं। “क्या तुम्हें और चाहिए?” उसने धीमी और भारी आवाज़ में पूछा।

राकेश सिर्फ़ सिर हिला सका, उसके कूल्हे आगे की ओर झुक रहे थे। सुनीता मुस्कुराई, उसके होंठ एक बार फिर उसके लिंग को ढँक रहे थे।

राकेश अब खुद को रोक नहीं सका। उसने महसूस किया कि वह चरम सीमा पर पहुँच रहा है, उसके कूल्हे आगे की ओर झुक रहे हैं। सुनीता ने उसे और गहराई तक ले लिया, उसका मुँह और हाथ एक साथ काम कर रहे थे।

राकेश ज़ोर से झड़ा, उसके कूल्हे आगे की ओर झुक रहे थे। सुनीता ने सब कुछ सह लिया, उसके मुँह और हाथ ने एक पल भी नहीं गंवाया।

राकेश पीछे गिर पड़ा, उसकी साँसें छोटी-छोटी हाँफ रही थीं। सुनीता मुस्कुराई, उसके होंठ उसके लिंग से लाल और सूजे हुए थे।

वे वहाँ चुपचाप बैठे रहे, बस बाहर बारिश की आवाज़ आ रही थी। राकेश को यकीन नहीं हो रहा था कि अभी क्या हुआ है। उसने पहले कभी ऐसा कुछ महसूस नहीं किया था।

सुनीता झुकी, उसके होंठ उसके होंठों से सट गए। “मुझे लगता है सोने का समय हो गया है,” उसने धीमी और कामुक आवाज़ में फुसफुसाते हुए कहा।

राकेश सिर्फ़ सिर हिला सका, उसका शरीर अभी भी चरमसुख से गूँज रहा था। वह सुनीता के पीछे उसके कमरे में गया, उनके शरीर अभी भी ऊर्जा से गूँज रहे थे।

वे बिस्तर पर चढ़ गए, उनके शरीर एक-दूसरे से लिपटे हुए थे। राकेश जानता था कि यह किसी नई चीज़, किसी रोमांचक चीज़ की शुरुआत थी।

उसने आँखें बंद कर लीं, उसके होठों पर एक हल्की मुस्कान थी। वह यह देखने के लिए बेताब था कि यह आगे क्या लेकर जाएगा।

🔥 लड़कियाँ लाइव कैम पर आपका इंतज़ार कर रही हैं 👉 यहाँ देखें