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अंजलि ने खुद को चुदबIके अपने पति को बचाया | Hindi black mail sex stories


हेलो दोस्तों मेरा नाम अंजलि है। मैं एक शादीशुदा महिला हूं। गुजरात में सूरत के पास एक टेक्सटाइल उद्योग मेरे  पति श्री बृजभूषण सिंह इंजीनियर के पोस्ट में काम करते हैं। उनके कपड़ा मिल में हमेशा मजदूरों की समस्या रहती है। मजदूरों का नेता बिल्ला बहुत ही हरामी टाइप का आदमी है। अधिकारी लोगों को इस tarah ki आदमी को हमेशा पता कर रखना पड़ता है। मेरे पति की usse बहुत पत्ती थी। मुझे उनकी दोस्ती फूटी आंख भी नहीं सुहाती थी। शादी के बाद मैं जब नई नई ऐ थी वो पति के साथ अक्सर आने लगा। उसकी आंखें मेरी बदन पर फिरती रहती थी। मेरा बदन वैसा भी काफी सेक्सी था। कौन पूरे बदन पर नजरें फरता रहता था। ऐसा लगता था मानो वो कल्पना में मुझे नागन कर रहा हो। शादी के बाद मुझे किसी को ये बताने के बाद बहुत शर्म आती थी। फिर भी मैंने बृज को समझा की ऐसे प्रवेश से दोस्ती छोड़ दे मगर जो तर्क देता था कि प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने पर थोड़ा बहुत ऐसे लोगों से बनाना बनाना पड़ता है। उनके तर्क के उम्र में चुप हो जाति थी। मैंने कहा भी कि कौन आदमी मुझे बुरी नज़रों से घूमता रहता है। मगर वो मेरी बात पर कोई तवज्जो नहीं देते।
बिल्ला कोई 45 साल का भैंस की तरह काला आदमी था। उसका काम हर वक्त कोई ना कोई खुराफात या फिर झगड़ा करना रहता था। उसकी पहचान बहुत ऊपर तक थी। उसका दबाबा आस पास के काई कंपनी में चलता था। बाजार के नुक्कड़ पर उसकी कोठी थी जिसमें वो अकेला ही रहता था। कोई फैमिली नहीं थी मगर लोग बताते हैं कि वो बहुत ही रंगीला आदमी है और अक्सर उसके घर में लड़कियां भेजी जाती थी। हर वक्त का चमचों से घिरा रहता था। वो सब देखने में गुंडों से लगते थे। सूरत और इसके आस पास काफी टेक्सटाइल के छोटे मोटे कारखाने हैं। सब में बिल्ला की आज्ञा के बिना एक पट्टा भी नहीं हिलत था। उसकी पहचान यहां के विधायक से भी ज्यादा है।

बृज के सामने ही काई बार मेरे साथ गंदे मजाक भी कर्ता था। मे गुस्से से लाल हो जाति थी मगर बृज हंस कर ताल देता था। बाद में मेरे शिकायत करने पर मुझे अपनी बाहों में लेकर मेरे छूने को चुम कर कहता था, "अंजू तुम हो ही ऐसी किसी का भी मन दोल जाए तुम पर। अगर कोई तुम्हें देख कर ही खुश हो जाता हो तो हमें क्या फर्क पड़ता है।" है।" घर के मुख्य द्वार की छिटकनी में कोई नुक्स था। दरवाजा को जोर से धक्का देने पर छिटकानी अपने आप गिर जाती थी। होली से दो दिन पहले एक दिन पहले किसी काम से बिल्ला हमारे घर पहुंचें। दिन का वक़्त था। माई उस समय स्नान कक्ष में नहीं रही थी। बहार से काफी आवाज लगाने पर भी मुझे सुना नहीं दिया था। शायद उसे घड़ी भी बाजी होगी मगर अंदर पानी की आवाज में मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दिया। मैं अपने धुन् गुनगुनती हुई नहीं रही थी। उसके दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया तो दरवाजे की छिटकानी गिर गई और दरवाजा खुल गया। बिल्ला ने बहार से आवाज लगाई मगर कोई जवाब न पाकर दरवाजा खोल कर झंका। कमरा खाली पाकर वो अंदर प्रवेश कर गया। इस्तेमाल करें शायद बाथरूम से पानी गिरने की एवम मारे गुनगुने की आवाज आई तो पहले तो कौन जाने के लिए मुड़ा मगर फिर कुछ सोच कर धीरे से दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया। और मिट्टी कर बेड रूम में प्रवेश कर गया। मैंने पूरे घर में अकेले होने के कारण कपड़े बहार बेड परी रख रखे थे। उन पर उसकी नजर पड़ते ही आंखों में चमक आगयी। वो सारे कपड़े समित कर अपने पास रख लिया। मई इन सब से अंजान गुनगुनती हुई नाहन रही थी। नहाना खत्म कर के बदन तौलिये से पोंछ कर पूरी तरह नागन बहार निकली। वो दरवाजे के पीछेछुपा हुआ था इसलिए उसपर नजर नहीं पड़ी। मैंने पहले ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े हो कर अपने हुस्न को निहारा। फिर बदन पर पाउडर छिदक कर कपड़ों की तरफ हाथ बढ़ाए। मगर कपडों को बिस्तर पर न पाकर चोंक गई। तबी दरवाजे के पीछे से कय्यूम लपक कर मेरे पीछे आया और मेरे नाग बदन को अपनी बहनों की जिराफ्ट में ले लिया। माई एक दम सकते में आगयी। समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें। उसके हाथ मेरे बदन पर फिर रहे थे। मेरे एक निप्पल को अपने मुंह में ले लिया और दूसरे को हाथ से मसाला रहा था। एक हाथ मेरी योनि पर फिर रहे थे। अचानक उसकी दो उन्लिया मेरी योनि में प्रवेश कर गई। माई एकदुम से चिहंक उठी और यूज एक जोर से झटका दिया और उसकी बहनों से निकल गई। माई चिखते हुए मुख्य द्वार की तरफ दौर मगर कुंडी खोलने से पहले फिर उसकी जिराफ में आगाई। वो मेरे स्टैनन को बुरी तरह मसल रहा था। "छोड़ कमी नहीं तो मैं शोर मचाऊंगी" मैंने गालते हुए कहा। तबी हाथ चितकनी तक पहुंच गए। और दरवाजा खोल दिया। मेरे इस हरकत की इस्तेमाल शायद उम्मिद नहीं थी। मैने एक जोरदार झपड़ उसके गाल पर लगा और अपने नाग हलकी परवा ना करते हुए मैंने दरवाजाजे को खोल दिया। शेरनी की तरह चीखी, "निकल जा मेरे घर से।" और इस्तेमाल करें धक्का मार कर घर से निकला दिया। उसकी हलत चोट खाए शेर की तरह हो रही थी। चेहरा गुस्से से लाल सुरख हो रहा था। हमें मज़ा आया कहा, "साली बड़ी सती सावित्री बन रही है। अगर तुझे अपने नीचे न लिटाया तो मेरा नाम भी कय्यूम नहीं। देखना एक दिन तू आएगी मेरे पास मेरे पास लुंड को लेने। हमें समय अगर तुझे अपने इस लिंग पर ना कुदवाया तो देखना। मैंने भदक से हमें के मुंह पर दरवाजा बंद कर दिया। तो बृज ने मुझे मनाने की काफी कोशिश की। कहा कि ऐसे बूरे आदमी से क्या मुंह लगना। मगर मैं तो आज उसकी बातों में आने वाली नहीं थी। आखिर वो हमसे भिड़ने निकला। कय्यूम से झगडा करने पर कय्यूम ने भी खूब गलियां दी . उसे कहा "तेरी बीवी नंगी होकर दरवाजा खोलकर... नहाये तो इसमें सामने वालों की क्या गलती है। अगर इतनी ही सती सावित्री है तो बोला कर के बुर्के में रहे।" उसके आदमियों ने धक्का देकर बृज को बहार निकल दिया। चुप हो जाना पड़ा। बदनामी का भी डर था। और बृज की नौकरी का भी सवाल था। धीरे-धीरे समय गुजरे लगा। चौराहे पर अक्सर कय्यूम अपने चेले चपातों के साथ बैठा रहता था, कभी वहां से गुजराती तो मुझे देख कर अपने साथियों से कहता है। "बृज की बीवी बड़ी कांतीली चीज है। उसकी छतियों को मसाला मसल कर मैंने लाल कर दिया था। मुझे भी उंगली डाली थी। नहीं मांगते हो तो पूछ लो।" "क्यों अंजलिरानी याद है ना मेरे हाथों का स्पर्श"
"कब आ राही है मेरे बिस्तर पर" मैं ये सब सुन कर चुप चाप सर झुके वहां से गुजर जाति थी। करो महीने बाद की बात है। अचानक शाम को बृज के कारखाने से फोन आया, "मैडम, आप मिसेज सिंह बोल रही हैं?" "हां बोलिए" मैंने कहा। "मैडम पुलिस फैक्ट्री आई थी और सिंह साहब को गिरफ़्तार कर ले गई।" "क्या? क्यों?" मेरी समझ में ही नहीं आया कि सामने वाला क्या बोल रहा है। "मैडम कुछ ठीक से समझ में नहीं आ रहा है। आप तुरत यहां आजै।" माई जैसी थी वैसी ही दौर गई बृजके ऑफिस। माई एक सूट की सदी पाहिनी हुई थी। वहां के मालिक कामदार साहब से मिली तो उन लोगों ने बताया कि दो दिन पहले उनके फैक्ट्री में कोई हादसा हुआ था जिसे पुलिस मर्डर का केस बना कर बृज के खिलाफ चार्जशीट दयार कर दी थी। माई एकदुम चक्रित रह गई। ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। "लेकिन आप तो जनता हैं कि बृज ऐसा आदमी नहीं है। वो आपके पास पिछले का सालों से काम कर रहा है। कभी आपको उनके खिलाफ

कोई भी शिकायत मिली है क्या।" मैंने मिस्टर कामदार से

पूछा। "देखिए मिसेज सिंह मैं भी जानती हूं कि इसमें बृज का कोई हाथ नहीं है मगर मैं कुछ भी कहने में अस्मर्थ हूं।" "आखिर क्यों?"
"क्योंकी उसका एक चश्मदीद गवाह है। कय्यूम" मेरे सर पर जैसे बम फट पड़ा मेरी आंखों के सामने सारी बात साफ होती चली गई। "वो कहता है कि उसे बृज को जान बूज कर उस आदमी को मशीन में धक्का देते देखा था।" "ये साब सारा सर झूठ है वो कमीना जान बू कर बृज को फसा रहा है।" मैंने लगभाग रोते हुए कहा। "देखिए मुझे आपसे हमदर्दी है मगर मैं आपको कोई मदद नहीं कर पा रहा हूं। इंस्पेक्टर गवलेकर का भी कय्यूम से अच्छी दोस्ती है। सारे वर्कर्स बृज के खिलाफ हो रहे हैं। मेरी मनो तो आप कय्यूम से मिल लो वो अगर अपना बयान बदल ले तो हाय बृज बच सकता है।" "थूकती हूं मैं हमें कमीने पर" कहर मैं वहां से जोड़ी पटकती हुई निकल गई। मगर मेरे समझ में नहीं आरा था कि मैं क्या करूं। माई थाना पंहुची। वहां काफी देर बृज से मिलने दिया गया। उसकी हाल देख कर तो मुझे रोना आ गया। बाल बेचे हुए हुए। आंखों के नीचे कुछ सूजन थी शायद पुलिस वालों ने मारपीट भी होगी। मैंने हमसे बात करने की कोशिश की मगर वो कुछ ज्यादा नहीं बोल पाया। उसे बस इतना ही कहा, "अब कुछ नहीं हो सकता। अब तो कय्यूम ही कुछ कर सकता है।"

मुझे किसी ओर से आशा की कोई किरण नहीं दिखाई दे रही थी। आखिर कर मैंने कय्यूम से मिलने का निर्णय किया। शायद यूज मुझ पर रहम अजय। शाम के लगभाग आठ बज गए। माई कय्यूम के घर पंहुची। गेट पर दरवाजे ने रोका तो मैंने कहा, "साहब को कहना मिसेज सिंह आई हैं।" गार्ड अंदर चला गया। कुछ देर बाहर आकार कहा, "अभी साहब अभी बिजी हैं कुछ देर इंतजार किजिये।" पंडराह मिनट बाद मुझे अंदर जाने दिया। मकान काफी बड़ा था। अंदर ड्राइंग रूम में कय्यूम दीवान पर आधा लेता हुआ था। उसके तीन चमक कुर्सीयों पर बैठे हुए थे। सबके हाथों में शराब के गिलास। सामने टेबल पर एक बोतलखुली हुई थी। मैंने कामरे की हालत देखते हुए झिझकती हुई अंदर प्रवेश किया। "आ चारा।" कय्यूम ने अपने सामने एक खाली कुर्सी की तरफ इशारा किया। "वो वो माई अप्से बृज के नंगे आदमी बात करना चाहती थी।" माई जल्दी वहा से भागना चाहती थी। "ये अपने सुदर्शन कपड़ा मिल के इंजीनियर की बीवी है। बड़ी सेक्सी चीज है।" हमने अपने ग्लास से एक घूंट लेते हुए कहा। सारे मुझे वासना भारी नजरों से देखने लगे। उनकी आंखों में लाल डोरे तैर रहे थे। "हां बोल क्या चाहिए?" "बृज ने कुछ भी नहीं किया" मैंने उससे मिन्नत की। "मुझे मालूम है"

"पुलिस कहते हैं कि आप अपना बयान बल लेंगे तो वो छूट जाएंगे" "क्यों? क्यों बदलूं मैं अपना बयान?" आया था मुझसे लड़ने।" "कृपया आप ही एक मातृ आशा हो।" "लेकिन क्यों? क्यों बदलो मैं अपना बयान? मुझे क्या मिलेगा" कय्यूम ने अपने मोटे जीब पर होंगे फरतेहुए कहा।" आप कहिए आपको क्या चाहिए। अगरबस में हुआ तो हम जरूर देंगे" कहते हुए मैंने अपनी आंखें झुका ली। मुझे पता था कि अब क्या होने वाला है। कय्यूम अपनी जगह से उठा। अपना ग्लास टेबल पर रख कर चलता हुआ मेरे पीछे आग्या। माई आंखों से बंद कर उसके जोड़े के पादचप सुन रही थी। मेरी हालत उस खरगोश की तरह हो गई थी जो अपना सर झटकों में डाल कर...सोचता है कि भेदिये से वो बच जाएगा। उसे मेरे पीछे आकार साड़ी के अंचल को पकड़ा और उनको छतियों पर से हटा दिया। फिर उसके हाथ उम्र ऐ और ताकत से मेरी छतियों को मसलने लगे। "मुझे तुम्हारा जिस्म चाहिए पूरे दिन के लिए" उसे मेरे कानों के पास धीरे से कहा। मैंने सहमातिम अपना सर झकलिया। "ऐसे नहीं अपने मुहं" से बोल" उसे मेरे ब्लाउज के अंदर अपने हाथ कर सकती है छतियों को निचोर्न लगा। इतने लोगों के सामने मैं शर्म से गाड़ी जा रही थी। मैंने सर हिलाया "मुंह से बोल"

"हां" मैंने धरे से कल बुदया। "जोर से बोल। कुछ सुना नहीं दिया। तुझे सुनाई दिया रे चापलू?" हमने एक से पूछा। "नहीं" जवाब आया। "मुझे मंजूर है।" मैने इस बार कुछ जोर से कहा। "क्यों फूलनदेवी जी, मैंने कहा था ना बहुत खुद आएगी मेरे घर और कहेगी कि प्लीज मुझे छोड़ो। कहां गई तेरी अकड़? तू पूरे 24 घंटों के लिए मेरे कबजे में रहेगी। मैं जैसा चाहूंगी तुझे वैसा ही करना होगा। तुझे आगे 24 घंटे।" बस अपनी योनी खोल कर रैंडियों की तरह चुडवाना है। उसके बाद तू और तेरा मर्द दोनो आजाद हो जाओगे। वैसे ही वहां से पूरी वैश्य बन कर ही बहार निकलेगी।" "मुझे मंजूर है" मैंने अपने आंसू पर कबू पते हुए कहा। वो जाकार वापस अपनी जगह जकार बैठा गया। "चल शुरू हो जा। अपने सारे कपड़े उतार मुझे औरतों के बदन पर कपड़े अच्छे नहीं लगते" उससे ग्लास अपने होठों से लगा, अब ये कपड़े कल शाम के दस बजे के बाद ही मिलेंगे। चल इनको भी दिखाया तो सही कि तुझे अपने किस हुस्न पर इतना गुरूर है। मैने कानपत हाथों से ब्लाउज के बटन खोलना शुरू कर दिया। सारे बटन खोलकर ब्लाउज़ के डोनो हिसन को अपनी छतियों के ऊपर से हटाया तो ब्रा में कैसे हुए मेरे डोनो योवानुन भुखी आँखों के सामने आने। मैने ब्लाउज को अपने बदन से अलगकर

दीया। चारो की आंखें चमक उठी। मैंने बदन से सारी हटा दिया। फिर मैंने झिझकते हुए पेटिको की डोरी खींच दी। पेटकोट सरता हुआ जोड़ी पर धेर हो गया चारों की आंखों में वसना केसुरख डोरे तीर रहे थे। माई उनके सामने ब्रा और पैंटी में खड़ी होंगी। "मैंने कहा था सारे कपड़े उतारने को" कय्यूम ने गुरते हुए कहा। "प्लीज मुझे और जलील मत करो" मैंने उससे मिनातें की। "अबे राजे फोन लगा गोलेकर को। बोल सेल बृज को रात भर हवाई जहाज बना कर डंडे मारे और इस रंडी को भी अंदर कर दे" "नहीं नहीं, ऐसा मत करना। आप जैसा कहोगे मैं वैसा ही करूंगा।" कहते हुए मैं अपने हाथ पीछे लेजाकर ब्रा का हुक खोल दिया। ब्रा को आहिस्ता से बदन से अलग कर दिया। अब मैंने पूरी तरह से समर्पण का फैसला कर लिया। ब्रा के हटे ही मेरे दूधिया उरोज रोशनी में चमक उठे। चारो अपनी अपनी जगह पर कसमसाने लगे। तीनो गरम हो चुके द। उनके पंत पर उबर साफ नजर आरा था। कय्यूम लुंगी के ऊपर से ही अपने लिंग पर हाथ फेर रहा था। लुंगी के ऊपर से ही उसके उबर को देख कर लग रहा था कि अब मेरी खैर नहीं। मैंने अपनी उंगलियान पेंटी की इलास्टिक में फनसाई तो कय्यूम बोल उठा। "ठहर जा। यहां आ मेरे पास"

मैं उसके पास आकार खादी हो गई। उसके अपने हाथों से मेरी योनि को कुछ देर तक मसाला फिर पैंटी को नीचे करता चला गया। अब मैं पूरी तरह नंगी हो कर उसके सामने खड़ी थी। "राजे जा और मेरा कैमरा उठा ला" मैं घबरा गई। "आपने जो चाह मैं दे रही हूं फिर ये साब क्यों" "तुझे मुहं खोलने के लिए मन किया था ना" एक आदमी एक फिल्म कैमरा ले आया। उन्होन ने सेंटर टेबल से सारा समान हटा दिया। कय्यूम मेरी योनि पर हाथ फिर रहा था। मेरे योनि पर रेशमी घुंघराले बालों को सहला रहा था। "चल बैठक यहां" उसे सेंटर टेबल की या इशारा किया। माई सेंटर टेबल पर बैठ गई। उसे मेरी तंगों को जमीन से उठा कर टेबल पर रखने को कहा। मैंने वैसा ही किया। "अब तंगेन चौरी कर" मैं शर्म से दोहरी हो गई मगर मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था। मैंने अपनी तंगों को थोड़ा फेलया। "और फेला" मैंने तंगों को उनके सामने पूरी तरह फेल दिया। मेरी योनि उनके आंखों के सामने बेपर्दा थी। योनि के दोनों लब खुल गए थे। माई चारों के सामने योनि फेल कर बैठी थी। उनके से एक मेरी योनि की तस्वीर ले रहा था। "अपनी छूत में उन्गली दाल कर उसको चौडा कर।" कय्यूम ने कहा। वो अब आपनी तहमद खोल कर अपने काले मूसल जैसे लिंग पर हाथ फेर रहा था। माई तो उसके लिंग को देख कर ही सिहर गई। गढ़े जैसा इतना मोटा और लुंबा लिंग मैंने पहली बार देखा था। लिंग भी पूरा काला था। मैं अपनी योनि में उन्गली डाल करूं सबके सामने फेल दिया। चरन हँसने लगे।

"देखा मुझसे पंगा लेने का अंजाम। बड़ा गुरुर था इसको अपने रूप पर। देख आज मेरे सामने कैसे नंगी अपनी योनि असफल कर बैठी हुई है।" कय्यूम ने अपनी दो मोती मोती पर। देख आज मेरे सामने कैसे नंगी अपनी योनि फेल कर बैठी है। जिस्म उसकी बात नहीं सुन रहा था। उसकी अनगलियां कुछ देर अंदर खलबली मचाने के बाद बाहर निकली तो योनि रस से छुपी हुई थी। कौन अपनी उन्लियो को अपनी नाक तक ले जाकर सोंघा फिर सब को दिखा कर कह, "अब ये भी गरम होने लगी है।" मेरे हंसों पर अपनी उलटियां छूआ कर कह। छतियों को मसल रहा था तो कोई मेरी योनि में उन्गली डाल रहा था। मैं उनके बीच में छत्ता रही थी। कय्यूम ने सबको रुकने का इशारा किया। मैंने देखा उसके कमर से तहमद हुई हुई है। और कला भुजंग सा लिंग तन हुआ खड़ा है। . उसे मेरे सर को पकड़ा और अपने लिंग पर दाब दिया। "इसे ले अपने मुंह में" उसे कहा "मुंह खोल।" मैंने झ इजकते हुए अपना मुंह खोला तो उसका लिंग अंदर घुसा चला गया। बड़ी मुश्किल से ही उसके लिंग के ऊपर के हिस्से को मुंह में ले पर रही थी। हू मेरे सर को अपने लिंग पर दब रहा था। उसका लिंग गले के द्वार पर जाकार फैन्स गया। मेरा दम घुटने लगा मैं छत्ता रही थी। उसे अपने हाथों का जोर मेरे सर से हटाया।

कुछ सेकंड के लिए कुछ राहत मिली तो मैंने अपना सर ऊपर खींचा। लिंग के कुछ इंच बहार निकलते ही उसी वापस मेरा सर दबा दिया। इस तरह वो मेरे मुंह में अपना लिंग अंदर बाहर करने लगा। मैंने कभी मुख मैथुन नहीं किया था इसलिए मुझे शुरू शुरू में काफी परेशानी हुई। उबकाई सी आ रही थी। धीरे-धीरे उसके लिंग के अभ्यस्त हो गई। अब मेरा शेयर भी गरम हो गया था। मेरी योनी गीली होने लगी। बाकी तीन मेरे बदन को मसल रहे हैं। मुख मैथुन करते करते मुह दर्द करने लगा था मगर वो था कि छोड़ ही नहीं रहा था। "कोई इस रंडी को बेडरूम में ले चल।" कय्यूम ने कहा। दो आदमी मुझे उठाकर लगभाग खींचे हुए हुए बेडरूम में ले गए। बेडरॉम में एक बड़ा सा पलंग बिच्छा था। मुझे पलंग पर पताक दिया गया। कय्यूम अपने हाथों में गिलास लेकर बिस्तर के पास एक कुर्सी पर बैठ गया। "चलो शुरू हो जाओ" उसे अपने चमकों से कहा। तीनो मुझ पर टूट पड़े। मेरी स्पर्श फेल कर एकने अपना मुंह मेरी योनि पर चिपका दिया। अपनी जीभ निकाल कर मेरे योनि को चुनने लगा। उसके जीभ मेरे अंदर गर्मी फेला रही थी। मैंने उसके सर को पकड़ कर अपने योनी पर जोर से डबराखा था। माई छत्तने

लगी।

मुंह

से

"आआआआआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

ऊउउफफ आह्ह उउउउईइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइईईईईईईईईईईईईईईईईआई "जैसी अवाजेन निकल राही थि।

बाकी दोनो में से एक मेरे निपल्स पर डेटा गदा रहा था तो एक ने मेरे मुंह में अपना लिंग डाल दिया। सामूहिक सहयोग का दृश्य था। और कय्यूम पास बैठा मुझे नुचते हुए देख रहा था। कय्यूम का लेने के बाद इस आदमी का लिंग तो बच्चे जैसा लग रहा था। वो बहुत जल्दी झड़ गया। अब जोड़ी मेरी योनि चुन रहा था वो मेरी योनि से अलग हो गया। मैंने अपनी योनि को जितना हो सकता है उतना किया कि वो वापस अपनी जीभ अंदर डाल दे। मगर उसका इरादा कुछ और ही था। उसके मेरे तंगों को मोड़ कर अपने कंधे पर रख दिया और एक झटके में अपना लिंग मेरी योनि में डाल दिया। क्या अचानक हुए हमारे से मैं छत्ता गई। अब वो मेरी योनि में तेज तेज झटके मारने लगा। दूसरा जो मेरी चटियोंको मसल रहा था मेरी छती पर सवार हो गया और मेरे मुंह में अपना लिंग डाल दिया। फिर मेरे मुंह को योनि की तरह छोड़ने लगा। उसके और कोस मेरी ठुड्डी से राग खा रहे थे। जोर जोर से धक्का लगा रहे हैं। मेरी योनि पानी छोड़ने लगी। माई चीखना चाह रही थी मगर मुंह से सिर्फ "उम्म्म उम्फ" जैसी आवाज ही निकल रही थी। दोनो एक साथ वीर निकल कर मेरे बदन पर लुढाक गए। माई जोर जोर से सांस ले रही थी। बुरी तरह ठक गई थी मगर आज मेरे नसीब में आराम नहीं लिखा था। उनके हट ते ही कय्यूम उठा और मेरे पास आकर मुझे खींच कर उठा और बिस्तर के कोने पर चुपाया बना दिया। फिर वो बिस्तर के पास खड़े होकर अपना लिंग मेरी तपती योनि पर लगा और एक झटके के अंदर डाल दिया। योनी गीली होने के कारण उसका मूसल जैसा लिंग लेते हुए भी कोई दर्द नहीं महसूस हुआ। मगर ऐसा लग रहा था मानो वो मेरे पूरे हिस्से को चीरता हुआ मुंह से निकल जाएगा। फिर वो धक्के देने लगा। मजबूर पलंग भी उसके धक्के से आकर्षण लगा। फिर मेरी क्या हाल हो रही इसकी तो सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है। अमि चीख रही थी। "आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह प्ल्लीसेसे। कृपया ममुज्जी छोड़ दो। पूरे कमरे में फुच फुच की आवाजें गूंज रही थी। बाकी तीनो उठ कर मेरे करीब अगए द और मेरी चुदाई का नजारा देख रहे थे। माई बस दुआ कर रही ति कि उसका लिंग जल्दी पानी छोड़ दे। मगर पता नहीं वो किस चीज़ का बना हुआ था कि उसकी रफ़्तार में कोई कमी नहीं रही थी। कोई अधे घंटे तक मुझे छोड़ने के बाद उसे अपना वीर मेरी योनि में डाल दिया। माई मुंह के बल बिस्तर पर गिर गई। मेरा पूरा शरीर बुरी तरह टूट रहा था। गला सुख रहा था। "पानी" मैंने पानी मंगा तो एक ने एक गिलास पानी मेरे होठों से लगा दिया। मेरे होठ बहुत से लिदे हुए थे उन्हें पोंछ कर मैंने गटागट पूरा पानी पी लिया। पानी पीने के बाद हिस्से में कुछ जान आई। तेनो वापस मेरे बदन से चिपक गए। अब मैं बिस्टरके किनारे जोड़ी लटके बैठ गई। एक का लिंग अपनी दो छतियों के बीच ले राखी थी और बाकी दोनो के लिंग को बारी से मुहं में लेकर चूस रही थी। वो मेरी छतियों को छोड़ रहा था। मैं अपने हाथों से अपनी छतियों को उसके लिंग पर दो या से दबा राखी थी। उसने मेरी छतियों पर वीर गिरा दिया। फिर बाकी दोनो मुझे बारी बारी से चौपाया बना कर छोड़े। उनके वीर्या पट हो जाने के बाद वो चले गए। माई बिस्तर पर चित पड़ी हुई थी। दोनों की जोड़ी फेल हुई है। मेरी योनि से वीर्य छोड़ बिस्तर पर गिर रहा था। मेरे बाल चेहरा छतिया सब पर वीर फेल हुआ था। छतियों पर डेटा के लाल नीले निशान नजर ए रहे द। कय्यूम पास खड़ा मेरे बदन की तस्वीर खींच रहा था मगर मैं उसे मना करने की स्थिति में नहीं थी। गला भी दर्द कर रहा था। कय्यूम बिस्तर के पास आकर मेरे निप्पल को पकड़ कर उन्हें उम्मेते हुए अपनी या खींच। माई दर्द के मारे उठी चली गई और उसके बदन से सत गई। "जा किचन में। भीमा ने खाना बना लिया होगा। टेबल पर खाना लगा। और हां तू इसी तरह रहेगी" मुझे कमरे के दरवाजे की तरफ ढकेल कर मेरे नागन नितांब पर एक चपत लगाई। मैं अपने शरीर को सिकंदरे हुए इक हाथ से अपने स्टेन युगल को और ए हाथ से अपने तारों के जोड़ को ढकने की असफ़ल कोशिशी करती हुई किचन में प्रवेश हुई। अंदर 45 साल का एक रसोइया था। जिसको मुझे देख कर एक सीती बजाई। और मेरेपास आकार मुझे सीधा कहदा कर दिया। माई झुकी जराही थी। मगर हमें मेरी नहीं चलने दिया। जबरदस्ती मेरे देखे पर से हाथ हटा दिया। "शानदार" उसे कहा। माई शर्म से दोहरी हो रही थी। एक निचल स्टार के लक्षणों का सामने में अपनी इज्जत बचने में अस्मर्थ थी। उसे फिर खींच कर योनि पर से दूसरा हाथ हटाया। मैंने तांगेन सिकोड ली। ये देख कर हमने मेरे स्टैनो को मसाला दिया। स्टेनो को हमसे बचने के लिए नीचे की या झुकी तो अपनी अपनी दो अनग्लियां


मेरी योनि में पीछे की तरफ से दाल दिया। मेरी योनि बहुतसे गीली हो रही थी। "खुब चूड़ी हो लगता है" उसे कहा। "शेर खुद खाने के बाद कुछ बोटियां गीदड़ों के लिए भी छोड़ देता है। एक अध मौका साहब मुझे भी देंगे तब तेरी खबर लूंगा" कहक उसे मुझे अपने बदन से लपेट लिया। "कय्यूमजी ने खाना लगाने के लिए कहा है।" मैने इस्तेमाल किया धक्का देते हुए कहा। उससे मुझसे अलग होने से पहले मेरे होठों को एक बार किस कर चूम लिया। "चल तुझे तो तसल्ली से छोड़ेंगे पहले साहब को जी भर के मसल लेने दो।" उसने कहा। फिर मुझे खाने का समान पकड़ने लगा। मैने टेबल पर खाना लगाया। फिर डिनर उसकी गॉड में बैठ कर लेना पड़ा। वो भी नाग बैठा था। उसका लिंग सिकुदा हुआ था। मेरी योनि उसके नरम पड़े लिंग को छू रही थी। खाते हुए कभी मुझे मसाला कभी चूमता जा रहा था। उसके मुंह से शराब की दुर्गंध एक राही थी। वो जब भी मुझे चुमता। मुझे उसपर गुस्सा ए जटा। खाते खाते ही हमने मोबाइल पर कहनी रिंगकिया। "हैलो, कौन गावलेकर?" "क्या कर रहा है?" "अबे इधर आजा। घर पर बोल देना की रात में कहीं गश्त पर जाना है। यहीं रात गुजरेंगे। हमारे बृज साहब की जमानात यहीं है मेरे भगवान में।" कहकक हमें मेरे एक निप्पल को जोर से उमेथा। दोनों निप्पल बूरी तरह दर्द कर रहे हैं। नहीं चाहते हुए भी मैं चीक उठी। "सुना? अब झट आजा सारे काम छोड़ कर" रात भर आपन इसकी जांच पडताल करेंगे। मैं समेटे हुए ड्राइंग रूम में अगया। मुझे अपनी बहनों में लेकर मेरे होठों पर अपने मोटे भद्दे होठ रख कर चूमने लगा। फिर अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी। और मेरे मुंह का अपनी जीभ से मुआयना करने लगा। बैठा और मुझे जमीन पर अपने कदमों पर बिठाया। तांगे खोल कर मुझे अपनी तंगों की जोड़ पर खींच लिया। मैं उसका इशारा समझ कर उसे लिंग को चुनने लगी। वो मेरे बालों पर हाथ फिर रहा था। फिर मैंने उसके लिंग को मुंह में ले लिए। उसके लिंग को चुनने लगी। जीभ निकल कर उसके लिंग के ऊपर फिरने लगी। धीरे धीरे उसका लिंग हरकत में अता जा रहा था। वो मेरे मुंह में फूलने लगा। माई और तेजी से उसके लिंग पर अपना कुन्ह चलने लगी। कुछ ही देर में लिंग फिर से पूरी तरह तन कर खड़ा हो गया था . वैपास यूज योनी में लेने की सोच कर ही झुरझुरी सी अ राही थी। योनि का तो बुरा हाल था। ऐसा लग रहा था मानो अंदर से छिल गया हो। माई इसके लिए उसके लिंग पर और तेजी से मुंह ऊपर नीचे करने लगेजिस से उसका मुंह में ही निकल जाए। मगर वो तो पूरी रेत की तरह सहनशक्ति रखता था। मेरी बहुत कोशिशों के बाद उसके लिंग से पहले निकलने लगा मैं थक गई मगर उसके लिंग से वीर्य निकला ही नहीं। तबी दरवान ने आकार गवलेकर के आने की सूचना दी। 
"उसे यहां पे भेज दे।" मैं उठने लगी तो उसे कंधे पर जोर लगा कर कहा। "तू कहां उठ रही है। चल अपना काम करती रह।" कहकर उसे वापस मेरे मुंह से अपना लिंग सता दिया। मैंने भी मुंह खोल कर उसके लिंग को वापस अपने मुंह में ले लिया। तबी गवलेकर अंदर आया। वो कोई छे फीट का लंबा कद्दावर बदन वाला आदमी है। मेरे ऊपर नजर पड़ते ही उसका मुंह खुला का खुला रह गया। मैने कतर नजरों से उसकी तरफ देखा। "वाह भाई कय्यूम क्या नजारा है। इस हूर को कैसे वश में किया।" गावलेकर ने हंसते हुए कहा। "एक बैठक। बड़ी शानदार चीज है। मक्खन की तरह मुलायम और भट्टी की तरह गरम।" कय्यूम ने मेरे सर को पकड़ कर उस की तरह घूमाया, "ये है अंजलि सिंह। अपने बृज की बीवी। इसने कहा मेरे पति को छोड़ दो मैंने कहा रात भर के लिए मेरे लुंड पर बैठक लगा फिर देखेंगे। समझ औरत है मान गई।" अब ये रात भर तेरे पहलु को गर्म करेगी। जितनी चाहे ठोको" गावलेकर आकार में पास में बैठ गया। कय्यूम ने मुझे उसकी या ढकेल दिया। गावलेकर मुझे खींच कर अपनीगोद में बिठा लिया। और मुझे चूमने लगा। मुझे तो अब अपने ऊपर घिन सी आने लगी थी। मगर इनकी बात तो मन में ही थी। चेतावनी ये तो मुर्दे को भी नोच लेते हैं। मेरे बदन को कय्यूम ने साफ करने नहीं दिया था। इस्लीए जगह जगह वीर सुख कर सफेद पापड़ी की तरह दिख रही थी। दोनो स्टैनन पर लाल दाग देख कर गवलेकर ने कहा, "तू तो लगता है काफी जमानात उसूल कर चुक्का है।"
"हां सोच पहले देखूं तो सही अपने स्टैंडर्ड की है या नहीं" कय्यूम ने कहा। "कृपया साहब मुझे छोड़ दीजिए सुबह तक मैं मर जाउंगी।" मैने गावलेकर से मिनातें की। "घबरा मत सुबह तक तो तुझे वसे ही छोड़ देंगे। जिंदगी भर तुझे अपने पास थोड़ा ही रखना है।" गावलेकर ने मेरे निप्पल को दो उँगलियों के बीच मसलते हुए कहा। "तूने अगर अब एक भी बकवास की नातो तेरा टेंटुआ दबा दूंगा" कय्यूम ने गुर्रते हुए कहा, "" तेरी अकड़ पूरी तरह गई नहीं है शायद "कहकर उसे मेरी दोनो छतियों को पकड़ कर ऐसा उमेठा की मेरी तो जान ही निकल गई।" ऊउउउउउउइइइइइ मां मार्गायी" माई पूरी ताकत से शेख उठी।" जा जाकार गवलेकर के लिए शराब का पेग बना ला। और टेबल तक घुटनों के बल जाएगी सांझी।" कय्यूम ने तेज आवाज में कहा। इतनी जलालत तो शायद किसी को नहीं मिलेगी। लिए एक पेग बना कर लौट आई। "मैंने अपना चेहरा मोड़ लिया। मैंने जिंदगी में कभी शराब को हाथ भी नहीं लगाया था। हमारे घरों में ये सब चलता था मगर मेरे बृज ने भी कभी शराब को नहीं छूआ था। उसे वापस गिलास मेरे हौंटों से लगा। मैंने सांस रोक कर थोड़ा सा अपने मुह में लिया। बदबू इतनी थी कि उबकाई आने लगी। हम नाराज होंगे सोच कर जैसे तैसे पेशाब लिया। “और नहीं। गोवलेकर मेरे बदन पर हाथ फर्राहा था। मेरे स्टैनन को चूम रहा था और अपना ग्लास खाली कर रहा था। मुझे फिर अपनी गॉड से उतर कर जमीन पर बैठा दिया। मैंने उसके पंत की जिप खोली और उसके लिंग को निकाल कर उसे मुंह में ले ली। अपने एक हाथ से कय्यूम के लिंग को सहला रही थी। बारी बारी से दोनो लिंग को मुंह में भर कर कुछ देर तक चूस्ती और दूसरे के लिंग को मुट्ठी में भर कर पीछे करती, फिर यही काम दूसरे के साथ करती। काफी देर तक दोनो शराब पीते रहे फिर गोवलेकर उठ कर मुझे एक झटके से भगवान में उठा लिया और बेड रूम में ले गया। बेडरूम में मुझे आकार बिस्तर पर पता दिया। कय्यूम भी साथ साथ गया था। वो तो पहले से ही नागन था। गोवलेकर भी अपने एक्पडे उतारना लगा। मैं बिस्तर पर लेती उसे अपने कपड़े उतार ते देख रही थी। मैंने उनके अगले कदम के बारे में सोचा कर आपने आप अपनी जोड़ी फेला दिए। मेरी योनी बहार दिखने लगी। गोवलेकर का लिंग कय्यूम की तरह ही मोटा और काफी लंबा था। उसे अपने कपड़े वही फेक कर बिस्तर पर चढ़ गया। मैं उसे लिंग को हाथ में लेकर अपनी योनी की या खींची। मगर वो उम्र नहीं बढ़ा। 

उसे मुझे बहनों से पकड़ कर उल्टा कर दिया और मेरे नितांबों से चिपक गया। अपने हाथों से दोनों नाइटंबों को अलग कर के छेद पर उन्गली फिराने लगा मैं उसका इरादा समझ गई कि वो मेरे गुडा को फड़ने का इरादा बनाया गया है। माई डार से चिहंक उठी क्योंकी है या मैभी तक अंजान थी। सुना था कि अप्रकृतिक मैथन में बहुत दर्द होता है। और गावलेकर का इतना मोटा लिंग कैसे जाएगा ये भी सोच रही थी। कय्यूम ने उसकी या क्रीम का एक डिब्बा बढ़ाया। उसे धेर सारा क्रीम लेकर मेरे पिछले छेद पर लगा दिया फिर एक कुंगली से उसका छेद के अंदर तक लगा दिया। उन्गली के अंदर जाते ही माई उच्छल पड़ी। पता नहीं आज मेरी क्या दुर्गति होने वाली थी। आदमखोरों से रहम की उम्मीद करना बेवकूफी थी। कय्यूम मेरे चेहरे के वही आकार मेरा मुंह जोर से अपने लिंग पर दाब दिया। मैं छत्ता रही थी तो उसे मुझे शक्ति से पकड़ रखा था। मुंह से गुंडों की आवाज ही निकल परही थी। गावलेकर ने मेरे नितांबों को फेल कर मेरे गुडा द्वार पर अपना लिंग सत्य। फिर उम्र की और एक तेज धक्का लगा। उसके लिंग के हिसा मेरे पीछे जगह बनते हुए धन गया। मेरी हालत खराब हो रही थी। आंखें बहार की या उबाल कर रही थी। कुछ देर उसी पोजीशन में रुका रहा दर्द हल्का सा कम हुआ तो हमें दुगने से एक और धक्का लगा। मुझे लगा मनो कोई मोटा मूसल मेरे अंदर डाल दिया गया हो। वो इसिस तरह कुछ देर तक रुका रहा। फिर उसे अपने लिंग को हरकत दे दी। मेरी जान निकली जा रही थी। वो दोनो उम्र और पीछे से अपने डंडों से मेरी कुटाई किए जा रहे थे। धीरे धीरे दर्द कम होने लगा। फिर तो दोनो तेज धक्के मारने लगे। दोनो में मनो प्रतियोगिता हो रही थी कि कौन देर तक रुका है। मगर मेरी हालत की किस चिंता थी। कय्यूम के सहनशक्ति की तो मैं लोहा मन्ने लगी। तकरीबन घंटे भर बाद दोनो ने अपने अपने लिंग से पिचकारी चूड़ दी। मेरे दोनो छेड़े तपाकने लगे। फिर तो रात भर ना तो खुद सोया न मुझे सोने दिया। सुबह तक तो मैं भाव शून्य हालत में हो गई थी। सुबह दोनो मुझे जिस्म को जी भर कर नोचने के बाद चले गए। जाते जाते कय्यूम अपने नौकरी से कह गया। 'इसे गरम गरम दूध पिला। इसकी हाल थोड़ा ठीक हो तो घर पर छोड़ दें देना। और तू भी कुच्छदेरचाहे तो मुंह मरले `मैं बिस्तर पर बिना किसी हलचल के पड़ी थी। तंगेन डॉन असफल हुई थी। तीनो छेदों पर वीरे के निशान थे। पूरे बदन पर अंगिनत दांतों के और वीरे के निशान पड़े हुए थे। स्टेन और निप्पल सुजे हुए थे। कुछ यही हाल मेरी योनि की भी हो रही थी। फटी फटी आंखों से दोनो को देख रही थी। “तू घर जा तेरे पति को दो एक घन्टो में रिहा कर दूंगा” गावलेकर ने पंत पहंते हुए कहा `भाई कय्यूम मजा अगे। क्या पता धुंध लाया है। तबीयत खुश हो गई। हम अपनी बातों से फिर वाले नहीं हैं। तुझे कभी भी मेरी जरूरत पड़े तो जान हाजिर है।' कय्यूम मुस्कान दीया। फिर दोनो तैयार होकर निकल गए। माई वैसी ही नागन पड़ी रही बिस्तर पर। तब भीमा दूध का गिलास लेकर आया और मुझे सहर देकर उठा। मैंने उसके हाथों से दूध का गिलास ले लिया। उसे मुझे एक पेन किलर भी दिया। मैंने दूध का गिलास खाली कर दिया। उसके खाली ग्लास हाथ से लेकर मेरे होठों पर लगे दूध को अपनी जीभ से चाट कर साफ कर दिया। कुछ देर तक मेरे शब्दों को चूमता रहा और मेरे बदन पर आहिस्ता से हाथ फरता रहा। फिर वो उठा और डेटॉल लकर मेरे जखमोनपर लगा दिया। अब मैं शरीर में कुछ जान महसूस कर रही थी। फिर कुछ देर बाद मुझे सहारा देकर उठा और मेरे बदन को बहनों में भर कर मुझे उसी हाल में बाथरूम में ले गया। वहां काफी देर तक उसे मुझे गर्म पानी से नेहलाया। बदन पोंछ कर मुझे बिस्तर पर ले गया। मुझे मेरे कपडे लाकर दिया। वो जैसे ही जाने लगा। मैंने उसका हाथ पकड़ लिया। मेरे आंखों में उसके लिए कृतज्ञता के भाव थे। मैं उसके करीब आकार उसके बदन से लिपट गई। मैं तब बहुत हल्का महसूस कर रही थी। माई खुद ही उसका हाथ पकड़ कर बिस्तर पर ले गई। मैनेस से लिप्ते हुए ही उसके पंत की तरफ हाथ बढ़ाया। मैं उसके एहसासों का बदला चुका देना चाहती थी। वो मेरे होने को, मेरी गरदन को, मेरे गैलन को चूमने लगा। मेरे स्टैनन पर हल्के से हाथ फिरने लगा। “कृपया मुझे प्यार करो। इतना प्यार करो कि कल रात की घटाएं मेरे दिमाग से हमेशा के लिए उतर जाएं।” मैं बतासा रोने लगी। वो मेरे एक अंग को छू रहा था। एक अंग को सहलता प्यार करता हूं। उसके होठों फूलों की पंखुडिय़ों की तरह पूरे बदन पर महसूस कर रही थी। अब माई खुद ही गरम होने लगी मैं खुद ही उससे लिपटने लगी यूज आने लगी। उसका हाथ मैंने अपने हाथ में लेकर अपनी योनि पर रख दिया। वो मेरी योनि को सहलाने लगा। फिर उसे मुझे बिस्तर के कोने पर बिठा कर मेरे सामने घुटनो के बल मुद गया। मेरे दोनों जोड़ी को अपने कंधे पर चड्ढा कर मेरी योनि पर अपने होंठ चिपका दिए। उसकी जीभ सांप की तरह सरस्वती हुई। उसकी मुह से निकल कर मेरी योनि में प्रवेश कर गई। मैंने उसके सर को अपने हाथों में ले रखा था। उत्तेजना में मैं उसके बालों को सहला रही थी उसके सर को योनि पर दाब रही थी। मेरे मुंह से सिसकारियां निकल रही थी। कुछ देर में मैं तो अपनी कमर उच्चाने लगी। और उसके मुंह पर ही धेर हो गई। मेरे हिस्से से मेरा सारा वीजा मेरे वीरे के रूप में निकलेगा। वो मेरे वीरे को अपने मुंह में खींंचता जा रहा था। काल से इतनी बार मेरे साथ सहयोग हुआ कि मैं गिंटी ही भूल गई मगर आज भीम की हरकतों से अब मेरा खुल कर वीर्यापत हुआ। भीमा के साथ मैं पूरे दिल से सहयोग कर रही थी। इसलिए अच्छा भी लग रहा था। मैंने इस्तेमाल बिस्तर पर पटका और उसके ऊपर सवार हो गई। उसके बदन से कपड़ो को नोच कर हटा दी। उसका मोटा ताजा लिंग ताना हुआ खड़ा था। कफी बलिष्त बदन था। माई उसके बदन को चुनने लगी। वो उठने की कोशिश किया तो मैंने गुर्राते हुए कहा, “चुप चाप पड़ रहा। मेरे बदन को भोगना चाहता था ना तो फिर भाग क्यों रहा है। ले भोग मेरे बदन को “मैंने यूज चिट लिटा दिया और उसके लिंग के ऊपर अपनी योनि राखी। अपने हाथों से उसके लिंग को सेट किया और उसके लिंग पर बैठ गई। उसका लिंग मेरी योनि की दीवारों को चुमता हुआ अंदर चला गया। 

फिर तो माई उसके लिंग पर उठने-बैठने लगी। मैने सर पीछे की या झटका दिया और अपने हाथों को उसके देखने पर फिरने लगी। वो मेरे स्टैनन को सहला रहा था। मेरे निपल्स को उंगलियोन से इधर उधर घुमा रहा था। निपल्स भी एक्साइटमेंट में खड़े हो गए। काफी देर तक इस स्थिति में करने के बाद मुझे वापस नीचे लिटा कर मेरे तंगों को अपने कंधे पर रख दिया। इस से योनि ऊपर की या हो गई है। अब लिंग योनि में जाता हुआ साफ दिख रहा था। हम दोनो उत्तेजित हो कर एक साथ झर गए। वो मेरे बदन पर ही लुढाक गया और तेज तेज सांस लेने लगा। मैंने उसके हंसों पर एक प्यार भरा चुम्बन दिया। फिर नीचे उतार कर तैयार हो गई। भीमा मुझे घर तक छोड़ आया। दोपहर तक मेरे पति रिहा होकर घर आगे। कय्यूम ने अपना बयान बदल लिया था। मैंने उनके जमनात की कीमत नहीं बताया। मगर अगले दिन ही हमारी कंपनी को छोड़ कर वहां से वापस जाने का मैंने एलान कर दिया। बृज ने भले ही कुछ नहीं पूछा मगर शायद इस्तेमाल भी उसकी रिहाई की कीमत की भानक पड़ गई थी। उसने उसे भी मुझे न किया और हम कुछ ही दिन में अपना थोड़ा बहुत समान पैक करके वो सहर छोड़ कर वापस जालंधर अगाए।