
📝 कहानी
budbuda गाँव के कच्चे रास्तों पर बैलगाड़ियों की चरमराहट गूँज रही थी। चारों तरफ़ धान और गेंहूँ के खेत फैले हुए थे।
मिट्टी में बरसात की भीनी-भीनी खुशबू समाई थी।
रूपा, जिसकी शादी को तीन बरस हो चुके थे, उसकी पेट की भूख तोह मिट रहीथी पर बदन की भूख कभी नहीं मिट रहीथी I उसदिन रोज़ की तरह कुएँ पर पानी भरने आई थी। उसका आदमी मज़दूरी करने शहर चला जाता और कई-कई दिन तक घर लौटता नहीं था। घर पर बूढ़ी सास रहती, मगर उसका मन अक्सर खाली-खाली लगता।
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रूपा जवान थी—चमकदार गोरी त्वचा, बड़ी-बड़ी आँखें और लम्बी चोटी छातीपर दो बड़े बड़े गोल चूचियां। गाँव भर की औरतें उसे देख कर जलन महसूस करतीं, और जवान लड़के उसके नाम की फुसफुसाहट करते।रातको उसकी यादों में मुठ मारते थे I
कुएँ से थोड़ा दूर रामू हल चला रहा था। रामू गाँव का नौजवान था, चौड़ी छाती, मजबूत बाजू और हँसमुख स्वभाव वाला। वो बचपन से रूपा को जानता था, लेकिन शादी के बाद से दोनों की बातें कम हो गई थीं। लेकिन उसकी दिल में भी रूपाको चोदनेकी ख्वाहिस थी I
उस दिन जब रूपा पानी भर रही थी, उसका पल्लू फिसल गया और ुकि ब्लाउस में से भीगे हुए दोनों चूचियां बहार से दिख रहीथी। रामू ने दूर से देखा और उसकी आँखें ठहर गईं। रूपा ने झट से पल्लू संभाल लिया, मगर रामू की मुस्कान उसने साफ़ देख ली।
“काहे घूरत हऊँ रामू?” रूपा ने तिरछी नज़र डालते हुए कहा।
रामू ने हल्की हँसी में जवाब दिया –
“तोरे वह दोनोंको देख के आँख आपनई रुक जाला, रूपा।”
उसकी बात सुनकर रूपा के गाल लाल हो उठे। ऊपर से गुस्सा जताया, लेकिन मन ही मन उसे भी अच्छा लगा। अनजाने में उसकी चुत भी थोड़ी गीली हो चुकी थी I वह भी चाहती थी की रामु के जैसा किसी जबान लड़केका लंड उसकी चुत में घुसे और वह भी थोड़ी मज़ा ले सके I
कुछ दिन बाद गाँव की चौपाल में मेला लगा। हर तरफ़ चूड़ी-बिंदी, मिठाई और झूले लगे थे।
रूपा अपनी सहेलियों के साथ आई थी। अचानक भीड़ में रामू से टकरा गई।
रामू ने धीरे से कहा –
“तोर होंठ में लाल लिपिस्टिक खूब सोहावत बा।”
रूपा ने आँख तरेर के जवाब दिया –
“तोके सब देखे के आदत पड़ गइल बा का?”
रामू मुस्कुराया और चला गया। मगर उस रात रूपा बार-बार वही बात याद करती रही। दिल में अजीब-सी हलचल उठ रही थी। अनजाने में ही उसकी एक ऊँगली अपनी चुत पर सहला रही थी और खुदको गीली कररही थी I
एक दोपहर जब गाँव वाले नीम के नीचे सो रहे थे, रामू चुपके से रूपा के आँगन में आया।
“रूपा, तोके किछु कहे के बा,” उसने धीरे से कहा।
रूपा ने घबराकर चारों ओर देखा, फिर दरवाज़ा आधा खोल दिया।
रूपा जैसे अपनी तन्हाई मिटाने लगी, वैसे ही कई लोग इस डेटिंग साइट पर नया साथी खोज रहे हैं।
रामू अंदर आया और बोला –
“मुझसे और रुका नहीं जावत है I मुझे एक बार तुझे चोदना है I”
रूपा का दिल जोर से धड़कने लगा। उसने काँपते हुए कहा –
“ए सब ठीक नहीं रामू… गाँव वाले जानेंगे तोह बवाल मच जाई।”
मगर उसकी आँखें कुछ और ही कह रही थीं।
रामु अब उसको जबरदस्ती किस करने लगा , वह अब पूरी तरह से हिट हो चूका था और रूपा कुछ देर प्रतिरोध करने की नाटक करने लगी फिर वह भी उसकी साथ देने लगी। रामु अब जोर जोरसे उसकी होठोंपे किस कर रहा था और उसकी एक हाथ धीरेसे रुपाकी ब्लॉसके ऊपर से उसकी एक चुचिको सहला रहा था। रूपाको मज़ा आ रहीथी और वह भी रामु के पीठपे सहलाने लगी I
रामु का लंड अब पूरी तरह से खड़ा हो चूका था , अब वह रूपाको अपनी बाँहों में उठाकर खटिया में सुला दिया और उसकी साडी उतरने लगा। कमर तक साडी निकलने के बाद वह निचे खड़ा हुआ आर रूपाको अपनी और खींचने लगा I रूपा अब निचे बैठ गयी और उसको पता चल चूका था की रामू को क्या चाहिए I वह नीचे बैठकर रामू की धोती खोलने लगी। अब रामू की बड़ा सा लंड धोती से बाहर निकल गई I
हेलो रानू का लंड एकदम hit हुआ था I उसको देखकर रूपा एकदम शहर गई । उसकी चुत एकदम से गीली हो गयी थी । उसने देर न करते हुए रामु की लंड को अपने देने हाथसे पकड़ के उसकी टोपे को अपनी होठोंए लगायी और चूसने लगी , अब रामु रूपाको अपनी लैंडपे ही उसकी बालोंको पकड़ के दबाने लगा। वह क्या नज़ारा था। रामु अब जोर जोर से रुपाकी मुँहमे ही चोदने लगा और अपना सारा पानी उसकी गले में ुअत्तर दिया । रूपा देरी न करते हुए रामु की सारा पानी गटक ली और उसकी लंड को अपनी मुंह से निकल दी।
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